लाचार पिता की कहानी आओ सुनाऊं एक कहानी ,ना था राजा ना थी रानी फिर भी अजब थी इनकी कहानी । एक था पिता एक थी पुत्री बिना मां के पली थी वह , पिता के सहारा से चली थी वह । पिता ने उसे बड़ा प्यार से पाला , नाम उसका रख दिया माला । पिता ने अपना फर्ज निभाया, कड़ी मेहनत कर माला को पढ़ाया , पढ़ा लिखा कर इंस्पेक्टर बनाया । लेकिन बदलते समय के साथ , माला ने अपना रंग दिखाया । जिसने उसे पढ़ा लिखा कर इंस्पेक्टर बनाया, उसे ही पहचानने से के दिया इनकार , पिता को लगा ऐसा सदमा , लाचार पिता हो गया बीमार, फिर पिता गया स्वर्ग सिधार । पिता ने अपना फर्ज निभाया , लेकिन माला को यह समझ नहीं आया । यही थी इनकी कहानी , जो थी सदियों पुरानी ।
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