एक गरीब का प्यार: एक दर्द भरी प्रेम कहानी !
एक गाँव में एक बहुत ही मासूम ख़ूबसूरत और अच्छा लड़का रहता था, जिसका नाम किशन था। उसके परिवार में उसके माँ बाप भाई बहन सभी थें लेकिन दुःख की बात यह थीं कि उसके माँ बाप बहुत ही ज़्यादा गरीब थें, इतना ग़रीब कि बड़ी मुश्किलों सें उनका गुजारा हों पाता था। लेकिन किशन पढ़नें में बहुत तेज और समझदार था और वह गाँव के सरकारी स्कूल में ही पढ़ता था। एक दिन की बात हैं किशन को एक लड़की को देखते ही उससे प्यार हों गया यानी उससे पहली नजर में वो प्यार कर बैठा था।
उसकी दिल की गहराइयों में वो लड़की पूरी तरह से उतर चुकी थीं और उस लड़की का नाम दिव्या था। दिव्या एक अमीर घर की इकलौती लड़की थीं। अब किशन दिव्या को छुप छुप कर देखनें लगा लेकिन एक दिन दिव्या नें ऐसा करतें उसे देख लिया मगर दिव्या नें उसे कुछ भी न कहा क्योकि किशन था ही इतना मासूम। अब किशन धीरें धीरें दिव्या के प्यार में इतना खो गया कि उसका न तो पढ़ाई में मन लगता था और न ही उसें खाने पीने का होश था। वह 24 घंटे ही उसी के ही प्यार में खोया रहता था। खैर दिन तो जैसे तैसे उसका कट ही जाता था मगर रात भर वह बिस्तर पर करवट बदलता रहता कि कब सुबह हों और उसकी एक झलक दिखें। अगर एक दिन भी वह लड़की उसे नजर नहीं आती तो वह अकेले में जाकर रोनें लगता था। धीरें धीरें उसका प्यार बढ़ता ही गया और उसनें दिव्या से अपनें प्यार का इज़हार करनें की कोशिश की मगर कर नहीं पाया। कई बार उसके नाम प्रेम पत्र लिखा लेकिन वह उसे दे नहीं पाया क्योकि उस लड़की के नज़दीक जातें ही उसका दिल जोर जोर से धड़कनें लगता और वह घबरा कर अपना इरादा बदल देता था। शायद उसके मन में एक डर था कि कहीं वह इनकार न कर दें या उससे नाराज न हों जाए। वह किसी भी क़ीमत पर दिव्या को खोना नहीं चाहता था।
देखतें ही देखतें 3 साल बीत गए मगर वह अपनें प्यार का इज़हार न कर सका। किशन काफ़ी शर्मिला लड़का था शायद इसलिए वह अपनें प्यार का इज़हार नहीं कर पा रहा था। और वैसे भी वह लड़का ग़रीब और लड़की अमीर थीं शायद यही सोचकर उसकी अपनें प्यार का इज़हार करनें की हिम्मत ही नहीं हुई मगर उसका प्यार एकदम सच्चा और पवित्र था। उसनें कभी भी उस लड़की के बारे में कभी गलत नहीं सोचा था।
एक दिन दिव्या ने उसे रास्तें में ही रोककर पूछा कि तुम्हारा नाम किशन हैं? उसनें कहा हाँ। अच्छा, तुम मुझें हमेशा ही दूर से क्यों देखतें रहतें हों, क्या तुम मुझसें कुछ कहना चाहतें हों? इस बात से किशन डर गया और बोलने में हड़बड़ाने लगा। तभी दिव्या बोली कि तुम बहुत मासूम और अच्छे भी हो। उस दिन शायद बात बन ही जाती मगर किशन उससे बात करनें में बहुत ही ज्यादा शरमा रहा था तो दिव्या नें कहा कि क्या तुम मुझसें दोस्ती करोगें, ये कहकर दिव्या ने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया तो जल्दी से किशन ने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और कहा, कि हाँ, मैं तुमसें दोस्ती करना चाहता हूँ। दिव्या के चेहरे से लग रहा था कि वो किशन से पूरी तरह इम्प्रेस हों चुकीं थीं। अब वो दोनों ही एक दोस्त की तरह मिलनें लगें और दिव्या को भी शायद उससे प्यार हों चुका था और वो भी किशन के कुछ बोलनें का इंतजार कर रहीं थीं। किशन को भी ये पता लग चुका था कि दिव्या अब पूरी तरह से उसकी दीवानी हों चुकीं थीं बस उसे परपोज़ करनें की ही देर थीं, मतलब उन दोनों कों ही एक दूसरे से बेहत प्यार हों चुका था। तभी एक दिन किशन के पिताजी बहुत बीमार हो गए और वो वैसे भी अब काफी बुजुर्ग हो चुके थें इसलिए उनसे काम की कोई भी उम्मीद नहीं थीं।
Comments
Post a Comment