लाचार पिता की कहानी
लाचार पिता की कहानी
आओ सुनाऊं एक कहानी ,ना था राजा ना थी रानी
फिर भी अजब थी इनकी कहानी ।
एक था पिता एक थी पुत्री
बिना मां के पली थी वह ,
पिता के सहारा से चली थी वह ।
पिता ने उसे बड़ा प्यार से पाला ,
नाम उसका रख दिया माला ।
पिता ने अपना फर्ज निभाया,
कड़ी मेहनत कर माला को पढ़ाया ,
पढ़ा लिखा कर इंस्पेक्टर बनाया ।
लेकिन बदलते समय के साथ ,
माला ने अपना रंग दिखाया ।
जिसने उसे पढ़ा लिखा कर इंस्पेक्टर बनाया,
उसे ही पहचानने से के दिया इनकार ,
पिता को लगा ऐसा सदमा ,
लाचार पिता हो गया बीमार,
फिर पिता गया स्वर्ग सिधार ।
पिता ने अपना फर्ज निभाया ,
लेकिन माला को यह समझ नहीं आया ।
यही थी इनकी कहानी ,
जो थी सदियों पुरानी ।
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