एक परेशान आदमी की कहानी |
आनंद एक बहुत ही साधारण आदमी था। उसका एक अच्छा खासा परिवार और एक नौकरी थी। लेकिन पिछले कुछ दिनों से वह काफी परेशान रहने लगा था।उसकी परेशानीयो की वजह थी उसको आने वाले वीचार। उसे लगता था कि वह दुनिया का सबसे बदनसीब आदमी है। पूरे घर का खर्चा उसे अकेले उठाना पड़ता है। घर में सबकी जिम्मेदारी भी उसी के कंधे पर है।
आनंद की परेशानियां उसके चेहरे पर दिखने लगी थी। वो बात बात पर गुस्सा हो जाता । उसका चिड़चिड़ापन दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था।
एक दिन आनंद अपने घर में ऐसे ही परेशान सा बैठा हुआ था तभी उसका बेटा उसके पास आया और कहने लगा कि पापा मुझे स्कूल से होमवर्क दिया गया है क्या आप मुझे होमवर्क करने में हेल्प करेंगे?
आनंद अपने बच्चे की पूरी बात सुने बिना ही उसके ऊपर गुस्सा हो गया और उसे काफी भला-बुरा सुना दिया! बच्चा वहां से निराश होकर चला गया।
थोड़ी देर बाद आनंद का गुस्सा शांत हुआ तब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। आनंद अपने बच्चे के कमरे में गया जहां उसने देखा की उसका बच्चा नोटबुक में होमवर्क करते करते ही सो गया था।
उसने नोटबुक उठा कर देखि, उसमें आज स्कूल से एक विषय पर पैराग्राफ लिखने के लिए दिया गया था। विषय कुछ ऐसा था " ऐसी चीजें जो पहले बुरी लगती है लेकिन होती अच्छी हैं"
बच्चे ने एक कुछ पैराग्राफ उस विषय पर लिख लिए थे। आनंद उस नोटबुक में लिखे को पढ़ने लगा। बच्चे ने कुछ इस तरह से लिखा था....
"मैं उन परीक्षाओं का धन्यवाद करना चाहूंगा जो पहले मुझे बहुत बुरी लगती थी लेकिन बाद में मुझे समझ आया उसके बाद ही वेकेशन आता है।
मुझे बीमारी में खाई जाने वाली सभी कड़वी दवाइयों से नफरत थी लेकिन बाद में मैं समझ पाया की उन्हीं दवाओं की वजह से मैं स्वस्थ हो पाता था और बाकी सभी चीजों का मजा ले पाता था।
सुबह-सुबह बजने वाला अलार्म मुझे अच्छा नहीं लगता था.. लेकिन मैं बाद में समझ पाया उसी अलार्म की वजह से मुझे सुबह जल्दी उठने की आदत लगी और वही अलार्म ही मुझे जिंदा होने का एहसास दिलाता हैं।
पहले मुझे मेरे पापा की डांट अच्छी नहीं लगती लेकिन अब मैं समझ पाया हूं उनकी डाट की वजह से ही मैं सही रास्ते पर बना रहता हूं और अच्छे भविष्य की तरफ आगे बढ़ता हूं।
इन सभी चीजों के लिए और खासकर मेरे पापा के लिए मैं भगवान को धन्यवाद देना चाहूंगा। क्योंकि मुझे डांटने के लिए मेरे पापा तो है मेरे दोस्त के पास तो पापा ही नहीं हैं। मेरे पापा ही मेरी सारी जरुरते पूरी करते हैं। कभी कबार डांटते भी है तो मेरे भले के लिए!
अपने बेटे के विचार उस नोटबुक पर पढ़कर आनंद गहरी सोच में पड़ गया। बेटे के लिखे हुए विचार उसके दिमाग में घूमने लगे। उसे लगा जैसे वह कई दिनों से किसी गहरी नींद में सो रहा था और यह नोटबुक पढ़ने से उसकी नींद खुल गई हो!
आनंद ने पेन और नोटबुक ली और अपने विचार लिखना शुरू किए। आनंद ने लिखा कि मुझे अपने घर का सारा खर्च उठाना पड़ता है इसका मतलब है मेरे पास एक बहुत अच्छा घर है और नौकरी भी यह उन लोगों से कहीं बेहतर है जिनके पास घर या नौकरी नहीं हैं।
सब की जिम्मेदारी मुझे निभानी पड़ती है इसका मतलब है मेरे पास अपना एक परिवार है। मतलब मैं उन सभी लोगों से ज्यादा खुश नसीब हु जो अकेले या अनाथ हैं।
आनंद ऐसे ही एक के बाद एक अपनी सारी परेशानियां लिखता गया और उन परेशानियों का दूसरा पहलू जो की पूरी तरह पॉजिटिव था।
ये सब करने के बाद उसका मन और दिमाग बिल्कुल हल्का हो गया। उसे लगा जैसे जिन्हे वो परेशानी समझ रहा था वो कोई परेशानियां थी ही नहीं।
दोस्तों,हम में से कई लोग अपने जीवन में घटने वाली हर घटना को नकारात्मक दृष्टि से देखते हैं और हमेशा दुखी रहते है। हमे हर समस्या या परेशानी को सकारात्मक दृष्टि से देखना चाहिए जिस दिन से हम ऐसा करने लगेंगे उस दिन से हमारी हर समस्या गायब हो जायेगी क्योंकि कोई भी समस्या एक नेगेटिव विचार से ज्यादा कुछ भी नहीं होती है।
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